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शिक्षकों के नियुक्ति - विभिन्न प्रश्न एवं उनके विधिक उत्तर : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

उच्च प्राथमिक विद्यालयों में गणित/विज्ञानं शिक्षकों के नियुक्ति हेतु गतिमान चयन प्रक्रिया में चयन हेतु अपनाई गयी गुणवत्ता अंक पद्दति, मा० उच्च न्यायालय द्वारा दि० २० नवम्बर २०१३ को पारित आदेशों के अधीन हैं जिसमें मा० न्यायालय ने शिक्षक सेवा नियमावली के १५वे संशोधन द्वारा गुणवत्ता अंक पद्दति को प्रतिस्थापित करने वाले नियम १४(३) को संविधान के अनुच्छेद १४ के प्रतिकूल मानते हुए असंवैधानिक करार दिया हैं ! साथ ही साथ १२वे संशोधन द्वारा चयन हेतु निर्धारित TET अंक पद्दति को संवैधानिक प्राविधानों के अनुकूल मानते हुए ३०.११.२०११ के विज्ञापन के आधार पर भर्ती हेतु निर्देशित किया हैं!

अतः उत्तर प्रदेश के वर्तमान शिक्षक सेवा नियमावली में १२वे संशोधन द्वारा चयन हेतु निर्धारित TET अंक पद्दति ही विद्दमान हैं! जिसकों दिसम्बर २०१४ में मा० सुप्रीमकोर्ट के मा० न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा एवं श्री ललित जी ने लगातार कई दिनों तक सभी अधिवक्ताओं के दलीलों को सुनने के पश्चात् संवैधानिक रूप से सही मानते हुए टेट मेरिट से चयन प्रक्रिया पूर्ण करने हेतु आदेशित किया! पिछले ५ महीनों के दौरान कई बार सरकार एवं गुणांक समर्थकों के अधिवक्ताओं ने चयन प्रक्रिया को परिवर्तित कराने का कुत्सित प्रयास किया परन्तु संवैधानिक रूप से सत्य टेट आधारित चयन प्रक्रिया पर कोई आंच न आई! एवं पहला बिंदु अर्थात १५वे संशोधन द्वारा प्रतिस्थापित गुणवत्ता अंक पद्दति मा० सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पुनः दम तोड़ चुकी हैं बस शवयात्रा बाकी हैं!
विभिन्न प्रश्न एवं उनके विधिक उत्तर :-
१. हमारे कुछ साथी यह दलील देंगे कि चयन प्रणाली तय करना सरकार का कार्य हैं!
उत्तर- मैं उनके तर्कों से पूर्णतयः सहमत हूँ परन्तु लोकतंत्र में सरकार को संवैधानिक नियमों के अनुरूप कार्य करने की बाध्यता हैं अगर कोई भी सरकार उन नियमों की अनदेखी करती हैं तो भारतीय न्यायालय की संवैधानिक समीक्षा ऐसे तानाशाही नियमों को किसी न किसी रोज असंवैधानिक सिद्ध (शिक्षामित्र समायोजन भी) कर देंगी! गुणवत्ता अंक प्रणाली एक दोषपूर्ण एवं असंवैधानिक व्यवस्था थी जिसे एक न एक दिन रद्द होना ही था! विभिन्न विश्वविद्यालय, बोर्डो की मार्किंग प्रणाली काल, समय, स्थान व व्यक्ति विशेष के आधार पर भिन्न-भिन्न रूप धारण करती हैं जिसे एक तराजू में तोलना, संविधान प्रदत समानता एवं रोजगार के लिए उपलब्ध समान अवसर के क्रमशः अनुच्छेद १४ एवं १६ के प्रतिकूल हैं!
२. क्या टेट वैटेज मिलेगा ?
उत्तर:- यह एक मजेदार बिंदु हैं जिसपर सर्वोच्च न्यायालय के विद्वान् न्यायाधीशों ने विद्वान अधिवक्ताओं को घुमा कर रख दिया था! कोई भी अधिवक्ता टेट वैटेज देने का एक सुनिश्चित एवं संवैधानिक फार्मूला प्रस्तुत नहीं कर सका ! टेट वैटेज नामक शब्द को जन्म देने वाली NCTE के guideline के पैरा 9 (अ) एवं (ब) ने मा० दीपक मिश्र जी के दिमाग में टेट न्यूनतम क्वालीफाइंग अंक 60% एवं ऊपर का विचार पैदा कर दिया हैं जिसने वर्तमान भर्ती में हलचल मचा रखी हैं! NCTE ने टेट न्यूनतम क्वालीफाइंग अंक 60% एवं ऊपर निर्धारित कर आरक्षण के प्राविधान स्टेट के ऊपर छोड़ रखा हैं अब स्टेट किसी आरक्षित व्यक्ति को एक ही चयन प्रक्रिया में कितनी जगह आरक्षण का लाभ देगी यह प्रश्न भविष्य के गर्त में हैं!
३. TET एक पात्रता परीक्षा हैं यह चयन का आधार नहीं हो सकता ?
उत्तर- निःसंदेह TET एक पात्रता परीक्षा हैं परन्तु प्रश्न एक के अनुसार ही किसी भर्ती हेतु संवैधानिक नियमों के अनुकूल चयन प्रक्रिया तय करना सरकार का कार्य हैं जिसे तत्कालीन सरकार ने TET परीक्षा हेतु अपनाये गये विषयों एवं गुणवत्ता के परिप्रेक्ष्य में चयन का आधार तय किया! जिसपर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक मामले को देख चुके दर्जनों न्यायाधीशों ने प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया एवं पूर्णतया संवैधानिक माना!
जिस प्रकार इंटरमीडिएट परीक्षा में ५०% अंक पाकर CPMT परीक्षा में टॉप करने वाला अभ्यर्थी, इंटरमीडिएट परीक्षा में ९९% पाकर CPMT में फेल होने वाले अभ्यर्थी सेश्रेष्ठ चिकित्सक साबित होता हैं! उसी प्रकार TET परीक्षा में एक उच्च अंक प्राप्त अभ्यर्थी एक श्रेष्ठ शिक्षक साबित होगा!
TET एक ऐसी परीक्षा हैं जिसके विषयवस्तु किसी परीक्षार्थी के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर शिक्षण गुणों का विस्तृत मूल्यांकन करते हैं जबकि अकादमिक परीक्षाये काल, समय, स्थान, व्यक्ति विशेष एवं विषय विशेष का मूल्यांकन करती हैं! अकादमिक परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने वाला, वर्तमान मुख्यमंत्री की कृपा से एक श्रेष्ठ सिपाही/होमगार्ड/सफाईकर्मी भी हो सकता हैं परन्तु एक श्रेष्ठ शिक्षक होगा इसकी गारन्टी नहीं हैं! अतः पद विशेष की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त अभ्यर्थी ही सर्वश्रेष्ठ पदाधिकारी साबित होगा!
उपरोक्त के अलावा गणित/विज्ञानं शिक्षक चयन प्रक्रिया में पड़ी रिट ६२८/२०१५, भर्ती में क्षैतिज आरक्षण की दुर्व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं! जो गुणवत्ता अंक प्रणाली के दोषपूर्ण व्यवस्था की दें हैं एवं इस भर्ती को गुणवत्ता अंक प्रणाली के आधार पर किसी भी तरीके से पूर्ण नहीं होने देगी! इसके अलावा भी इसमें कई सारी संवैधानिक कमियाँ हैं जिसे सरकार की दोषपूर्ण व्यवस्था ने जन्म दिया हैं क्योकि सरकार को शिक्षा सुधार रास नहीं आता एवं शिक्षामित्रों चमचों के अलावा कोई भी भर्ती नहीं करना चाहती परन्तु उसका उल्लेख फिर कभी!
अतः गणित/विज्ञानं शिक्षक भर्ती न होने की मुख्य वजह निम्न हैं
१. दि० २० नवम्बर २०१३ को हाईकोर्ट द्वारा १५वे संशोधन द्वारा प्रतिस्थापित गुणवत्ता अंक पद्दति असंवैधानिक घोषित होने के पश्चात सर्वोच्च न्यायालय में अनिर्णीत हैं अतः उत्तर प्रदेश के वर्तमान शिक्षक सेवा नियमावली में १२वे संशोधन द्वारा चयन हेतु निर्धारित TET अंक पद्दति ही विद्दमान हैं!
२. गुणवत्ता अंक प्रणाली की वजह से जन्मी दोषित क्षैतिज आरक्षण व्यवस्था गुणवत्ता अंक प्रणाली को पुनः असंवैधानिक सिद्ध करने की ओर!
३. सरकार की अनिच्छा! शिक्षामित्र चमचों का दोस्ताना!
अतः जूनियर भर्ती वर्तमान में या तो टेट मेरिट या फिर मा० सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों/आदेशों के उपरांत ही संभव होगा! यही कटु सत्य हैं!

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