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शिक्षा मित्रों की भर्ती रद्द होने पर और B ED tet वालों के समायोजन की आशंका से BTC धारी चिंतित , कहा बी एड प्राइमरी के योग्य नहीं

शिक्षा मित्रों की भर्ती रद्द होने पर और  B ED tet वालों के समायोजन की आशंका से BTC धारी चिंतित , कहा बी एड प्राइमरी के योग्य नहीं - इसमें कोई दोराय नहीं है कि बीएड प्राइमरी हेतु मान्य नहीं होता है। बीएड प्रशिक्षण प्राइमरी में पढ़ाने के लिए नहीं दिया जाता है, एनसीटीई ने भी बीएड को केवल बीटीसी की अनुपस्थिति में ही मान्य किया था वह भी एक निश्चित समय के लिए।
बीटीसी की उपस्थिति में बीएड को मौका देना ठीक वैसा ही होगा जैसे भरी गर्मी में बिजली और सीलिंग फैन होने के बाद भी हाथ पंखे से हवा करना। यह तथ्य कि जब 2011 में बीएड 72,825 भर्ती आई थी तब बीटीसी मौजूद नहीं था, अतः 2011 तक की समस्त रिक्तियों पर बीएड को नियुक्त करने की मांग करना विकट हास्यास्पद है।

महाभारत काल में दुर्योधन के जीजा जयद्रथ को पांडवों ने द्रौपदी पर बुरी नजर डालने के कारण गंजा कर के छोड़ दिया था, जिस से आहत होकर जयद्रथ ने पांडवों से प्रतिशोध लेने के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की। भगवान शिव ने उसकी तपस्या से प्रसन्न हो उससे वरदान मांगने को कहा। जयद्रथ ने वर मांगा कि उसको पांडवों को हराने की शक्ति वरदान में दी जाए, इस पर भगवान शिव ने कहा कि उक्त वरदान असम्भव है, क्योंकि पांडव अत्यधिक बलशाली हैं, अतः उनको हरा सकना सम्भव नहीं है। इसके स्थान पर भगवान शिव ने जयद्रथ को, अर्जुन को छोड़कर अन्य सभी पांडवों को युद्ध में पूरे एक दिन तक रोके रखने का वरदान दे दिया। इसी वरदान की सहायता से जयद्रथ ने अकेले दम पर भीम, युधिष्ठिर, नकुल व सहदेव को चक्रव्यूह में अभिमन्यु की सहायता हेतु प्रवेश नहीं करने दिया।

बीएड की मांग कि 2011 तक की रिक्तियों पर बीटीसी के मौजूद होने के बावजूद उनको नियुक्त किया जाए, जयद्रथ द्वारा भगवान शिव से मांगे वरदान सरीखी है जो कि असम्भव है। अधिक से अधिक बीटीसी को कोर्ट में कुछ समय तक बोलने से रोक जा सकता है वह भी अधिक समय के लिए नहीं। जैसे ही बीटीसी खुल के सामने आएगा, सारे समीकरण बदल जाएंगे। बीटीसी के रहते बीएड को एक नयी सीट नहीं मिलेगी। यह ही कटु सत्य है।
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