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मानदेय के लिए शहर के 47 स्कूलों ने भेजा फर्जी ब्योरा

एनबीटी,लखनऊ प्रदेश सरकार की ओर से वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय दिया जा रहा है। इसके लिए शहर के निजी स्कूलों से शपथ पत्र के साथ अर्ह शिक्षकों का ब्योरा मांगा गया था। हालत यह है कि शहर के 47 स्कूलों ने मानदेय के लिए फर्जी ब्योरा विभाग को भेज दिया है।
वहीं स्कूल ने जो शपथ पत्र दिया है, वह भी गलत है। विभाग की ओर से जब शिक्षकों की अर्हता की जांच की गई तो कई स्कूलों के शिक्षक मानकों के मुताबिक अयोग्य पाए गए, जबकि स्कूल ने शपथ पत्र में दावा किया है कि उनके सभी शिक्षक मानकों के मुताबिक योग्य हैं।

जांच में खुशहाल दास मॉन्टेसरी हाईस्कूल, मनोहर लाल उच्च माध्यमिक विद्यालय, महाराणा प्रताप पब्लिक इंटर कॉलेज, राजा पब्लिक इंटर कॉलेज और विद्या पब्लिक स्कूल के सभी शिक्षक मानकों के मुताबिक योग्य नहीं हैं। शपथ पत्र और आवेदन के साथ सभी शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्र भी मांगे गए थे। इन शैक्षिक प्रमाण पत्र में खुलासा हुआ कि इन स्कूलों के सभी शिक्षक बिना अर्हता के ही पढ़ा रहे हैं, जबकि अन्य स्कूलों में कुछ शिक्षक अर्ह पाए गए तो कुछ के नहीं। ऐसे स्कूलों की संख्या अब तक 47 पाई गई है।

जांच में और पाए जा सकते हैं फर्जी

अब तक दो चरणों में कुल 245 स्कूलों के शिक्षकों को मानदेय जारी किया जा चुका है, जबकि 450 स्कूलों की सूची तैयार हो रही है, जिसकी जांच चल रही है। अब ऐसे में तीसरी सूची में भी ऐसे स्कूलों की संख्या बढ़ सकती है।

नहीं कोई कार्रवाई

नियम के मुताबिक फर्जी या गलत तथ्यों पर आधारित शपथ पत्र देने पर सजा का प्रावधान है, लेकिन विभाग की ओर से इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया है। विभाग के अधिकारियों ने जितने भी स्कूलों के शपथ पत्र में गड़बड़ी पाई गई हैं, उन्हें आयोग्य घोषित कर मानदेय की सूची से बाहर कर दिया, लेकिन किसी भी स्कूल पर फर्जी शपथ पत्र देने के लिए नोटिस या कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में शपथ पत्र का पूरी तरह दुरुपयोग किया जा रहा है।

यह है योजना

शहर में यूपी बोर्ड के जितने भी निजी स्कूल हैं, उनमें पढ़ने वाले शिक्षकों की सैलरी बहुत कम होती है। ऐसे में सरकार ने उन्हें प्रतिमाह मानदेय देने की योजना लागू की थी। इसके तहत हर शिक्षक के अकाउंट में हर माह 800-900 रुपये मानदेय दिया जाना है।

कोट

ऐसे सभी स्कूलों के शिक्षकों को सूची से बाहर कर दिया गया है, जबकि लिस्ट फाइनल होने के बाद स्कूलों से स्पष्टिकरण मांगा जाएगा।

उमेश त्रिपाठी, डीआईओएस
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