स्थानान्तरण हेतु जारी रिक्त पदों की सूची में अभी भी सम्मलित हैं समायोजित शिक्षक

प्रतापगढ़ (ब्यूरो)- देश की सर्वोच्च अदालत भले ही शिक्षामित्र पद से शिक्षक पद पर समायोजित हुए शिक्षकों का समायोजन रद्द कर दिया हो किन्तु प्रदेश सरकार अभी भी उन्हें शिक्षक मान रही है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर समायोजन रद्द होने के पश्चात सचिव बेसिक शिक्षा परिषद् ने उन्हें मात्र 25 जुलाई तक वेतन भुगतान का भले ही आदेश जारी कर रखा है किन्तु सचिव बेसिक शिक्षा परिषद् उत्तर प्रदेश द्वारा जारी स्थानांतरण नीति से स्पष्ट हो रहा है कि प्रदेश सरकार अभी भी शिक्षामित्रों को शिक्षक मान रही है। शासन का यही रवैया रहा तो एक बार फिर स्थानांतरण अदालत की चौखट से ही गुजरने का अनुमान है।
बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों के स्थानांतरण कि प्रक्रिया का श्रीगणेश हो चुका है| जिला कार्यालय द्वारा रिक्त पदों का विद्यालयवार ब्यौरा भी जारी कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि रिक्त पदों में अभी तक शिक्षामित्रों को अलग नहीं किया गया है, विभाग अभी भी उन्हें शिक्षक मान रहा है। इसको लेकर भी विसंगति बनी हुई है। यह विसंगति दूर कैसे होगी आने वाला कल ही बताएगा।
बता दें कि जनपद में कई ऐसे विद्यालय है जो शिक्षामित्रों के भरोसे चल रहे है उन विद्यालयों में रिक्तियों का ब्यौरा शून्य है। ऐसे में उन विद्यालयों का संचालन कैसे होगा आने वाला कल ही बताएगा। प्रश्न उठता है कि क्या सचिव बेसिक शिक्षा परिषद और विभाग सर्वोच्च नयायालय के आदेश के बाद अभी भी शिक्षक मान रहा है। यदि विभाग समायोजन रद्द होने के बाद भी शिक्षामित्रो को शिक्षक मान रहा है तो उन्हें 25 जुलाई तक वेतन क्यूँ एक यक्ष प्रश्न।

मामला जो भी हो शासन की दो मुही नीति एक बार स्थानांतरण को फिर अदालत के दरवाजे पर ले जाती हुई बलवती दिख रही है। फिलहाल इस स्थानांतरण नीति से कितने विद्यालयों में ताले लगेंगे या एकल होंगे आने वाला कल ही बताएगा।
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