9 मई को परिवर्तित कर 27 जुलाई कर देने के पश्चात राजनीतिक अफरा-तफरी का उन्माद : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

दि० 9 मई को होने वाली सुनवाई को मा० दीपक मिश्रा जी द्वारा परिवर्तित कर 27 जुलाई कर देने के पश्चात से जिस प्रकार प्रदेश में व्याकुलता व अनावश्यक राजनीतिक अफरा-तफरी का उन्माद खड़ा किया जा रहा हैं वह निःसंदेह उचित नहीं कहा जा सकता!
कुछ नेतागिरी के शौक़ीन लोग हम टेट उत्तीर्ण साथियों के मध्य अचयनित व चयनित नामक खांई बनाने का निरंतर प्रयास कर बेरोजगारों में निराशा एवं अवसाद के भाव संचरित करने में सक्रिय हैं! ऐसे लोगों से अनुरोध हैं कि सिर्फ नेतागीरी के चक्कर में लोगों को निराश कर उनके जीवन से खिलवाड़ न करों! जहाँ तक प्रदेश के सभी गुटों के नेताओं को मैंने समझा हैं उस आधार पर स्पष्ट करना चाहूँगा कि प्रदेश के 2-3 बड़े गुट का नेत्रित्व अपने बुद्धि, विवेक एवं विधिक कुटिलता के अनुरूप समस्त टेट उत्तीर्ण साथियों के हितों हेतु निरंतर अपना बेहतर प्रयास करता रहता हैं! निःसंदेह हममें लक्ष्य प्राप्ति हेतु व्याग्रता हैं परन्तु हमें उचित समय की प्रतीक्षा करनी होगी!
आप सभी को विदित होगा कि बीएड टेट उत्तीर्ण योग्यताधारियों हेतु वर्ष २०११ में मात्र 72825 शिक्षक रिक्तियों का विज्ञापन पूर्ववर्ती सरकार द्वारा जारी किया गया था! जो सत्ता-परिवर्तन के पश्चात न्यायायिक विवादों के भंवर में फस गयी! अंततः सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर नियुक्ति प्रक्रिया आरम्भ हुयी परन्तु टेट उत्तीर्ण लोगों की संख्यां की अपेक्षा विज्ञापित पद अल्प थे! राजनीतिक दलों के शिक्षामित्र मोह (जो कि इजी वोटबैंक हैं) ने बीएड योग्यताधारियों के लिए किसी अन्य विज्ञापन को भी जारी नहीं होने दिया!

उस समय प्रदेश में निराशा का माहोल व्याप्त था परन्तु प्रदेश में शिक्षक रिक्तियों व शिक्षामित्रों के अवैध समायोजन से भरी जा रही रिक्तियों को देखते हुए मुझे यह विश्वास था कि अगर विधिक कुटिलता के साथ निरंतर एक बेहतर प्रयास किया जाये तो लाखों बीएड/बीटीसी (टेट उत्तीर्ण) बेरोजगारों को नियुक्ति के अवसर प्राप्त हो सकते हैं! इस स्वप्न को पूर्ण करने के लिए टेट संघर्ष एवं RTE एक्ट के इतिहास में दि० 10 अप्रैल 2015 को प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के समस्त शिक्षक रिक्तियों पर टेट उत्तीर्ण साथियों के नियुक्ति की मांग के साथ परमादेश याचिका 167/2015 दाखिल की! जिसे न्यायालय ने सर्वोत्कृष्ट मानते हुए न सिर्फ स्वीकृति प्रदान की वरन सरकार को नोटिस जारी करते हुए समस्त रिक्तियों का ब्यौरा भी तलब किया! दि० 21 जुलाई को प्रमुख सचिव द्वारा 4.86 लाख पदों के सापेक्ष 3.08 हजार रिक्तियों (समायोजित शिक्षामित्रों को दर्शाए बगैर) का ब्यौरा शपथ-पत्र के साथ परमादेश याचिका 167 में दाखिल किया गया!

सरकार द्वारा उक्त रिक्तियों पर शिक्षामित्रों का अवैध समायोजन निरंतर गतिमान था!उच्च न्यायालय में मा० डी० वाई० चंद्रचूड़ जी द्वारा सुनवाई किये जाने के बावजूद न तो उक्त मामले पर स्थगनादेश जारी हो रहा था न ही कोई निर्णय! तब हमारी टीम ने सर्वोच्च न्यायालय में अपनी परमादेश याचिका 167 में IA 2 & 3 दाखिल कर न्यायालय को प्रदेश सरकार द्वारा किये जा रहे असंवैधानिक कृत्य एवं विचाराधीन मामलों पर उच्च न्यायालय की उदासीनता से दि० 6 जुलाई को अवगत कराया! सर्वोच्च न्यायालय ने न सिर्फ तत्काल स्थगनादेश जारी किया वरन उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मा० डी० वाई० चंद्रचूड़ जी को अपनी अध्यक्षता में समस्त विवादों को तत्काल निस्तारित करने हेतु निर्देशित भी किया!

दि० 12 सितम्बर को शिक्षामित्र विवाद के ऐतिहासिक फैसले के साथ निस्तारित होने के पश्चात् सरकार ने उक्त आदेश के विरुद्ध सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर पुनः सम्पूर्ण मामले को सुनने का अनुरोध किया, जो कि भारतीय नागरिकों संवैधानिक अधिकार हैं ! इसी बीच दि० 02 नवम्बर को हमारे अधिवक्ता श्रीमान आनंद नंदन जी द्वारा न्यायालय का ध्यान प्रमुख सचिव द्वारा दिखाए गये रिक्तियों पर आकृष्ट कर समस्त टेट उत्तीर्ण साथियों के नियुक्ति की मांग की गयी! जिसे न्यायालय ने अपने आदेश में कलमबद्ध करते हुए रिक्तियों को निकट भविष्य में विधिसम्मत प्रक्रिया के माध्यम से भरवाने का आश्वासन दिया! दि० 07 दिसम्बर को मा० दीपक मिश्रा जी ने तत्समय न्यायालय में दाखिल विभिन्न याचिकाओं के याचियों को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए अंतरिम आदेश के तहत नियुक्ति प्रदान करने के निर्देश के साथ अपने आश्वासन के क्रियान्वयन की दिशा में अग्रसर हो गये! पुनः दि० 24 फरवरी को समस्त याचियों की रिपोर्ट तैयार करने हेतु सरकार को निर्देशित किया हैं! सरकार द्वारा रिपोर्ट तैयार कर याचियों की संख्या से न्यायालय को अवगत भी करा दिया हैं!
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विधिक बिन्दुं:-
सरकार द्वारा किसी भी विभाग में आवश्यकता अनुरूप निर्धारित मानकों में पदों का सृजन किया जा हैं! सृजनोपरांत निर्धारित सेवा नियमावली के अनुपालन करते हुए विधिसंगत विज्ञापन जारी कर चयन एवं नियुक्ति प्रक्रिया आरम्भ की जाती हैं! कोई भी नियमित नियुक्ति सृजित पदों पर ही किया जा सकता हैं! वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षकों के सृजित पदों पर शिक्षामित्रों का अवैध समायोजन करने के साथ-साथ अवशेष शिक्षामित्रों हेतु रिक्तियों को सुरक्षित कर रखा हैं! अतः आगामी सुनवाई में शिक्षामित्र समायोजन विवाद का मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूर्ण निस्तारण के उपरान्त ही उक्त रिक्तियों पर समस्त बीएड एवं बीटीसी टेट उत्तीर्ण योग्यताधारियों के नियुक्ति का मार्ग प्रसस्त होगा!

कोई भी काम एक दिन में नहीं सफल होता। काम एक पेड़ की तरह होता है। पहले उसकी आत्मा में एक बीज बोया जाता है, हिम्मत की खाद से उसे पोषित किया जाता है और मेहनत के पानी से उसे सींचा जाता है, तब जाकर सालों बाद वह फल देने के लायक होता है! भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की न्यायायिक प्रक्रिया की गति अत्यधिक कार्यों के बोझ से मद्धम अवश्य हुयी हैं परन्तु उसने कभी भी विधिसम्मत कार्यों में हमें निराश नहीं किया हैं! मैं अपनी टीम के साथ भारतीय संविधान एवं मा० सर्वोच्च न्यायालय की न्यायायिक व्यवस्था पर आस्था रखते हुए आप सभी से वादा करता हूँ कि इसी वर्ष 2016 में आप सभी को सुखद परिणाम उपलब्ध कराने में सफल रहूँगा! धन्यवाद!
__________आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
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