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18 अक्टूबर टेट आरक्षण मामला : सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विश्लेषण

ये फैसला एनसीटीई के 11 फरवरी 2011 और 29 जुलाई 2011 के नोटिफिकेशन के बीच हुई भर्ती का नतीजा है। दरअसल एनसीटीई ने 11 फरवरी की गाइड लाइन में रिजर्वेशन में कोई सीमा निर्धारित नहीं की थी लेकिन 29 जुलाई को संशोधन कर के 5% की सीमा तै कर दी।
जबकि राज्य सरकार ने 23 मार्च 2011 को छूट का आदेश जारी कर दिया।
*ज़ाहिर है नया संशोधन जारी होने से पहले राज्य के आदेश ने एनसीटीई के संशोधन को ख़ारिज माना गया। और राज्य की नीति को एनसीटीई गाइड लाइन पर वरीयता देते हुए कोर्ट ने राज्य के पक्ष में फैसला दिया।*
ये फैसला *यूपी के 72825 भर्ती पर वज्रपात की तरह है। इस फैसले में एनसीटीई नोटिफिकेशन के पैरा 9बी की व्याख्या करते हुए एकेडेमिक भर्ती को प्राथमिकता दी गई है।*
*टेट मेरिट भर्ती को अकादमिक से मर्ज करने की नोबत आने पर बीएड बेरोज़गारों का क्या हाल होगा, देखने योग्य होगा। साथ ही याची लाभ पाने वाले एडहॉक को मौलिक नियुक्ति न देने का फैसला राज्य पहले ही ले चुका है।* ऐसे में, बस इतना ही कहा जा सकता है:-
इब्तिदाये इश्क़ है रोता है क्या।।
आगे आगे देखिये होता है क्या।।
©रबी बहार*, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथी।
मिशन सुप्रीम कोर्ट।
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