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अफसर-जनप्रतिनिधियों ने अपनों को बांटी नौकरियां, शिक्षा विभाग के अफसर व शिक्षक विधायकों ने कराई नियुक्तियां

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर नियुक्तियां हुई हैं, उसी बीच अफसर-जनप्रतिनिधियों के गठजोड़ से ऐसे भी चयन हुए, जिनमें ‘अपनों’ को ही लाभ दिया गया है।
शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों व शिक्षक विधायकों ने चिन्हित कॉलेजों में अपने परिजनों को नियुक्ति दिलाने में देर नहीं लगाई, उन्हीं के साथ करीब एक दर्जन से अधिक कॉलेजों में 150 लोगों को नौकरियां बांट दी गई हैं। यह प्रकरण कई बार उठे, लेकिन सरकार ने उसका संज्ञान नहीं लिया। अब चुनाव आयोग को पूरा ब्योरा भेजा गया है।1विधानसभा चुनाव के मौके पर गुजरे साल में नियुक्तियों की भरमार रही है। इसी दौरान अफसर व जनप्रतिनिधियों ने अशासकीय सहायता प्राप्त बालिका माध्यमिक विद्यालय, संबद्ध प्राइमरी अनुभाग और अल्पसंख्यक विद्यालयों में तमाम मनचाही नियुक्तियां करा दी गई हैं। शिक्षा विभाग के अफसरों ने यह सब अपने पद के रौब में कराया, यही नहीं अब तक वह इलाहाबाद में ही जमे भी हैं। अपनों को तैनाती दिलाने में तीन अफसरों का नाम सबसे ऊपर है। उनमें से पहला राज्य स्तर का अधिकारी, दूसरा मंडल स्तर का और तीसरा जिला स्तर का अफसर है और इस समय शिक्षा निदेशालय में तैनात है। 1इन अफसरों की मिलीभगत से गुरु तेग बहादुर खालसा गल्र्स इंटर कॉलेज, आर्य कन्या इंटर कॉलेज, रमादेवी बालिका इंटर कॉलेज, हंिदूू महिला इंटर कॉलेज, सेंट एंथोनी गल्र्स इंटर कॉलेज समेत इलाहाबाद के 14 कालेजों में 150 से अधिक नियुक्तियां हुई हैं। इनमें अफसरों के परिजन भी शामिल हैं। अफसरों के निर्देश पर नियुक्तियों का विज्ञापन उन्हीं अखबारों में प्रकाशित हुआ जिनकी प्रसार संख्या बेहद कम है। ऐसे में नियुक्ति पाने वालों की योग्यता की जांच भी नहीं कराई गई। इसमें वह अफसर भी शामिल जिनकी आय से अधिक संपत्ति की जांच भी चल रही है। प्रकरण का विरोध न हो इसलिए कुछ शिक्षक विधायकों को भी इसमें साथ लिया गया। अफसरों ने विधायकों के परिजनों को भी नियुक्ति दी हैं। इसलिए वह भी मौन साधे हैं। 1इन मामलों के संबंध में जनसूचना अधिकार अधिनियम का प्रयोग करके साक्ष्य भी हासिल कर लिए गए हैं। इसी तरह शिक्षा निदेशालय से 2015-16 में माध्यमिक स्कूलों में पांच हजार से अधिक तबादले किए जाने का प्रकरण भी चुनाव आयोग को भेजा गया है।1 आयोग से शिकायत करने वाले संजीव कुमार ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा के मौजूदा अफसरों के पद पर बने रहते निष्पक्ष नहीं हो सकते इसलिए सभी को हटाया जाए।

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