लिस्ट 580 का रहस्य : विस्तार से...................राहुल जी पाण्डेय

लिस्ट 580 का रहस्य : विस्तार से । माननीय सर्वोच्च न्यायालय में सरकार ने दिनांक 02.11.2015 को बताया था कि उसके पास 14640 शीट रिक्त है , इस पर मुझे यह ज्ञात था कि माननीय सुप्रीम कोर्ट सभी टीईटी में न्यूनतम 70/60 फीसदी अंक वालों को नियुक्त मान चुकी है और उसके बाद भी 14640 शीट रिक्त समझ रही है ।
मैंने बताया कि मेरा 70 फीसदी से अधिक अंक है फिर भी चयन से वंचित हूँ ।
सचिव ने बताया कि आवेदन नही किया होगा या फिर स्नातक में 50/45 फीसदी समय समय पर 45/40 फीसदी से कम अंक होगा और मेरे बताने के बाद की आवेदन की सीमा अधिकतम है और स्नातक अंक फीसदी का मानक भी पूरा है तो कोर्ट ने सभी का प्रत्यावेदन लेने का आदेश किया ।
जिसमे कि सरकार को 75 हजार प्रत्यावेदन प्राप्त हुए और सरकार ने दिनांक 7 दिसंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि उसे कुल 12091 प्रत्यावेदन पात्र मिले हैं बाकी सब अपात्र हैं ।
इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 14640 शीटों में मात्र 12091 ही पात्र हैं अतः उनको पहले नियुक्त किया जाये और अवशेष लगभग 2500 शीट जिसपर सरकार द्वारा दावेदार न बताने पर दिनांक 7 दिसंबर 2015 तक के 1100 याचियों को दे दिया गया ।
जिसमे कि 862 लोग नियुक्त हो चुके हैं ।
उन्ही 1100 याचियों के आधार पर नये याचियों ने दिनांक 24 फरवरी 2016 को राहत मांगी तो कोर्ट ने सरकार से विचार करने को कहा और यह विचार दिनांक 26 अप्रैल 2016 तक के याचियों के लिए दिनांक 24 अगस्त 2016 को बढ़ाया गया ।
सरकार मात्र उन पर विचार कर रही है जो कि 72825 की प्रक्रिया में मेरिट लिस्ट में फाइट कर रहे हों ।
जबकि उसे 862 याचियों के पैरामीटर पर कंसीडर करने का आदेश था ।
862 याचियों के विषय में भी सरकार ने कोर्ट को बताया है कि ये लोग किस तरह अयोग्य हैं जैसे कोई आवेदक नहीं है तो कोई जिले की मेरिट लिस्ट में फाइट नहीं कर रहा है तो कोई स्नातक की योग्यता पूरी नहीं कर रहा है ,इस प्रकार सरकार उन्हें भी अपात्र मान रही है अतः ऐसे याची जो राहत नहीं पाये हैं वे 862 के भविष्य पर निर्भर हैं ।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि कई याचिकाओं में नाम होने के कारण जिनको बाहर किया गया है दूसरी तरफ 862 में तमाम लोग को कई याचिका में होने के बावजूद लिया गया है ।
जस्टिस श्री अशोक भूषण ने जस्टिस श्री अरुण टंडन के आदेश को पलटने के लिए बगैर रूल के विज्ञापन को रूल पर बता दिया क्योंकि रूल पर न बताते तो बहाल न कर पाते क्योंकि रूल से न हो रही प्रक्रिया का भविष्य शून्य होता है और रिजर्वेशन एक्ट का उलंघन कर रही भर्ती सदैव कूड़ेदान में समझी जाती है बशर्ते कि कोई विरोध हो ।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस श्री HL दत्तू ने जस्टिस श्री अशोक भूषण के आदेश को ही अंतरिम रूप से बहाल रखा और उसपर अंतरिम चयन का आदेश कर दिया ।
जस्टिस श्री दीपक मिश्रा ने रिजर्वेशन एक्ट से नियुक्ति देने का आदेश किया वो भी सरकार ने फॉलो नहीं किया और अवैध विज्ञप्ति की शर्तों को ही माना ।
अंतरिम आदेश से हुयी भर्तियों का कोई भविष्य नहीं है ।
फाइनल आदेश के बाद संपूर्ण विवाद समाप्त हो जाएंगे लेकिन अंतरिम आदेश पर नौकरी करने वाले लोग कभी नहीं चाहेंगे कि मुकदमा फाइनल हो क्योंकि फाइनल आदेश में सिर्फ न्याय होगा ।
सुप्रीम कोर्ट ने बीच गेम में नियम परिवर्तन समझकर अंतरिम आदेश किया था और सोचा था कि फाइनल में सब फिट हो जायेगा लेकिन हक़ीक़त में दोनों अलग-अलग गेम थे , पुराना गेम शुरू होने के पहले ही ख़त्म हो चुका था ।
उस गेम का गेम के रूल से कोई मतलब ही नहीं था , नियमावली की टीईटी मेरिट और उस गेम की टीईटी मेरिट समानता महज एक संयोग थी और वही लड़ाई का आधार बन गयी ।
चयन लिस्ट जारी होने के बाद भी प्रक्रिया रद्द की जा सकती है उसमे तो सिर्फ खिलाड़ी का नाम लिखा जा रहा था और खेल शुरू होने के पूर्व खेल रद्द कर दिया गया ।
टीईटी परीक्षा और उसका परिणाम तथा भर्ती अलग-अलग विषय हैं ।
दिनांक 9 नवंबर 2011 को UPTET 2011 को टीईटी मेरिट नहीं बनाया गया था बल्कि नियमावली 1981 में संशोधन 12 हुआ था कि प्राइमरी के मास्टर टीईटी मेरिट से चुने जाएंगे ।
मगर उस नियमावली से कोई भर्ती शुरू नहीं हुई ।
दिनांक 30 नवंबर 2011 का विज्ञापन रुल पर नहीं था यदि मान लें कि रुल पर था तो उसका रिजर्वेशन रूल गलत था इसलिए या तो उसे रुल पर न होने के कारण गलत ठहराया जायेगा या फिर रुल पर बताकर रिजर्वेशन एक्ट न फॉलो होने के कारण गलत बताया जायेगा या फिर रिजर्वेशन एक्ट फॉलो किया जायेगा मगर मेरा व्यक्तिगत मानना है कि बाद में रिजर्वेशन एक्ट फॉलो नहीं किया जा सकता है क्योंकि ऐसा होता तो फिर शिक्षामित्रों के साथ जस्टिस श्री DY चंद्रचूड ने यह नियम फॉलो कराया होता , सिलेक्शन लिस्ट अपडेट एक विकल्प है लेकिन इसके लिए निर्णीत चयन का आधार महत्त्वपूर्ण होगा परंतु जिसका अहित हुआ है उसे न्याय मिलेगा ।
नया विज्ञापन रुल पर था परंतु उसका चयन का आधार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है ।
इस प्रकार फाइनल आदेश में सिर्फ न्याय होगा मगर यह फाइनल आदेश कब आएगा इसका पता किसी को नहीं है क्योंकि इससे लूट का व्यापार प्रभावित होगा ।
ज्यादा क्या लिखूं कोर्ट कचहरी की लड़ाई कुछ ऐसी ही होती है ।
सिर्फ फाइनल बहस और अंतिम निर्णय का प्रयास ही किसी को खुशियां दे सकता है क्योंकि इससे फिर कोर्ट याचियों को खुश कर सकती है मगर याची राहत मांगने पर सिर्फ एक और तारीख देगी ।
विचार करिये की शिक्षामित्र संगठन सिर्फ एक नयी डेट लेने के लिए हरीश साल्वे को उतारता है तो फिर 72825 में चयन पाने वाले और याची राहत पाने वाले लोग फाइनल आदेश क्यों चाहेंगे ?
अचयनितों के अधिकतर नेता चयनित ही हैं।
धन्यवाद् ।
राहुल जी पाण्डेय
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Breaking News This week