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शिक्षामित्र संबंधी केस पर मेरा दृष्टिकोण: Facebook post by Govind Dixit

शिक्षामित्र संबंधी केस पर मेरा दृष्टिकोण : एक समय था जब बेसिक में लगभग कक्षा 8 तक पढ़े हुए शिक्षक पढ़ाया करते थे। उनका वेतन उनके परिवार को भरपेट भोजन देने के लिए भी पर्याप्त नहीं होता था
किन्तु पूर्णनिष्ठा से वे अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन किया करते थे और गुणवत्ता आज के उच्चशिक्षित शिक्षकों की तुलना में कहीं अधिक थी। उस समय उच्च पदों तक पहुँचने वाले लोग भी इन्हीं प्राथमिक विद्यालयों के पूर्व छात्र हुआ करते थे । जैसे जैसे तथाकथित उच्चशिक्षित शिक्षक आए वेतन में गुणात्मक सुधार हुआ तो गुणवत्ता का क्या हश्र हुआ वह सबके समक्ष है। आज इन सरकारी स्कूलों के पढ़ेे कितने छात्र उच्च पदों पर हैं ? बिडम्वना देखिए इन्हीं विद्यालयों की रोटियाँ खाने वाले शिक्षक स्वयं के बच्चों को इन स्कूलों में नहीं पढ़ाते। आख़िर क्यों ? क्या उन्हें अपने जैसे उच्च शिक्षितों की योग्यता पर विश्वास नहीं या फिर अपने कर्मो से अन्यों का भी अनुमान कर लेते हैं। तो यहाँ शिक्षा या डिग्री महत्त्वपूर्ण नहीं है। महत्त्वपूर्ण है उत्तरदायित्वबोध और उसके प्रति निष्ठा ,कर्तव्य के प्रति समर्पण जिसके अभाव में चाहे कितनी भी डिग्रियाँ क्यों न हों सब व्यर्थ हैं।वैसे भी पढ़ाना क्या है क ख ग घ 1234 ABCD बस ....... इसके लिए मेरी दृष्टि में लगभग सभी शिक्षामित्र समर्थ हैं। जो व्यवस्था सरकार द्वारा बनाई गयी ....शिक्षामित्रों का चयन किया गया ....फिर सरकार ने ही समायोजन किया .....फिर आज उस पर प्रश्नचिह्न क्यों।
अरे जिन्होंने वर्षों तक बहुत कम संसाधनो के साथ काम किया है अगर आज उनके जीवन में कुछ सुख का समय आया है तो हम टिप्पणी करने वाले कौन होते हैं। या फ़िर उस समय भी हम इनके पक्ष में आवाज़ उठाते जब समान कार्य पर एक को 35000 तो वहीं इनको 2500 मिल रहे थे। हाँ यदि ये लोग अपने कर्तव्य का निर्वहन न करें तो ये निन्दा के पात्र होंगे।
यद्यपि इस व्यवस्था का मैं शिकार हुआ हूँ दो विषयों में परास्नातक; बी0 एड0; एम0 एड; पी-एच0 डी0; नेट;आज तक हुए सभी प्रकार के टेट व सी टेट उत्तीर्ण कर चुका हूँ फिर भी अचयनित हूँ। यदि कोई यह सोच रहे हों कि यह योग्यता यूँ ही अर्जित कर ली होगी वास्तव में कुछ नहीं होगा तभी ..... !
तो आपको बता दूँ दो बार पीजीटी ,दो बार टीजीटी ,एक बार उत्तराखण्ड लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित राजकीय इण्टर कॉलेज प्रवक्ता ,उ0प्र0 डायट प्रवक्ता आदि अनेक परीक्षाएँ माता पिता के आशीष और ईश्वर की कृपा से क्वालीफाई कर चुका हूँ। टेट 2011 में 111 अंक होने पर भी अचयनित हूँ फिर भी चाहता हूँ जिन्हें नौकरी मिल गयी है वे हटाए न जाएँ। किसी की छीनकर मुझे दी जाए तो मुझे नहीं चाहिए। क्योंकि इसमें इनका क्या दोष है ? दोषी तो सरकारों का है जो वोट के लिए ऐसे कृत्य करती हैं जो कालान्तर में समस्याएँ उत्पन्न करते हैं। वैसे भी यह सब हमारी ही पार्टी का किया धरा है। क्या वह नहीं जानती थी कि आगे यह स्थिति आएगी ? जानती थी तो योग्यतानुसार चयन करती किन्तु उसे ज्ञात था कि इतने कम पारिश्रमिक में योग्य लोग नहीं आएँगे क्योंकि इससे कई गुना अधिक उन्हें प्राइवेट संस्थाओं में मिल जाएगा । इसलिए इण्टर वालों को चुना गया क्योंकि उन्हें यह भी ज्ञात था कि इस स्तर पर पढ़ाने के लिए उनकी योग्यता पर्याप्त है।उस समय तो तात्कालिक लाभ की चिन्ता थी बस।अपना काम निकल जाए बाकी आगे का जब होगा तब देखा जाएगा।
रही बात नौकरी के समय रखी गयीं शर्तों की तो उन जैसी अनेक शर्तों का इन्हीं सरकारों और न्यायालयों ने ( जो आज नाममात्र की न्यायालय रह गयी हैं) उन शर्तों का उल्लंघन कर आगे की पीढ़ी को ग़लत रास्ता दिखाने का काम किया है।
मेरी इस पोस्ट का उद्देश्य योग्यता की उपेक्षा करना नहीं है किन्तु विचार करना है कि यह तुष्टिकरण की राजनीति कितनी उचित है ?


शोशल मिडिया की खबरों और पदाधिकारियो से टेलीफोनिक वार्ता सेयह स्पस्ट है कि आज की बहस टेट या नान टेट  पर होनी है जिसमे संगठनों द्वारा हायर किये गए वरिष्ट अधिवक्ता आप के पक्ष को कोर्ट में रखगे ऐसी स्तिथि में देवीलाल जी के तरफ से आज  वी शेखर और आर के सिंह कोर्ट में रहेंगे आज सीनियर की बहस से बहुत कुछ स्पस्ट हो जायेगा जो हमारे सर्विस की रूप रेखा तय करेगा सोमवार लास्ट मूमेंट में आखिरी दांव अभिषेक मनु सिंघवी  सीनियर लॉयर के द्वारा टेट एलिज्वेलिटी पर रखा जायेगा
2 दिन का समय हे आपस में रॉय मन्त्रणा करके देवीलाल जी को आखिरी और प्रभवी सहयोग प्रदान करें
बिलकुल अवगत कराया जाएगा सर।
वकीलों के पैनल में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सभी वकील यथावत रहेंगे।
टीम के पास अब आर्थिक संकट समाप्त हो गया है। इसीलिए तो sst अपील कर रही है कि जिस किसी के slp पर सीनियर वकील नहीं हैं वह अवगत कराएं जिससे sst उस slp पर भी सीनियर वकील खड़ा कर सके।
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