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सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के उपरान्त शिक्षामित्र...सरकार अधिकतम क्या कर सकती है? शिक्षामित्रों के पास बचे क़ानूनी विकल्प?

Dev Georgian #सुप्रीम_कोर्ट_के_फ़ैसले_के_उपरान्त_शिक्षामित्र...
#सरकार_अधिकतम_क्या_कर_सकती_है?
#शिक्षामित्रों_के_पास_बचे_क़ानूनी_विकल्प?

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#प्रश्न_01 #सहायक_अध्यापक_पद_पर_समयोजित_शिक्षामित्र_आज_क्या_हैं?

⚫️ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आते ही सहायक अध्यापक के पद पर समयोजित सभी शिक्षामित्र(Tet पास भी) अपने पद से हट चुके हैं। अब सरकार चाहे तो आने वाली 2 भर्ती तक इन्हें शिक्षामित्र के पद पर रख सकती है। वैसे सरकार ने इन सभी को शिक्षामित्र पद पर रखने का कोई भी आदेश अभी जारी नही किया है। लेकिन इनके विरोध और संख्या को देखते हुए सरकार जल्द ही आदेश जारी करेगी।
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#प्रश्न_02
#क्या_सरकार_शिक्षामित्रों_के_लिए_कोई_नया_पद_सृजित_कर_समयोजित_कर_सकती_है?

⚫️ जी नही, सरकार के लिए ऐसा करना असम्भव है क्यूँकि कोई भी नया पद सृजित करने पर सरकार उस पद को खुली प्रतियोगिता के माध्यम से ही भर सकती है। यदि सरकार ने ऐसा नही किया तब यह भारतीय संविधान के #अनुच्छेद14 एवं #अनुच्छेद16 का खुला उल्लंघन होगा। अतः कोई नया पद सृजित करके शिक्षामित्रों का समायोजन उस पद पर करना असम्भव है।
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#प्रश्न_03 #राज्य_सरकार_अथवा_शिक्षामित्रों_के_पास_क्या_क़ानूनी_विकल्प_बचते_हैं? #राहत_मिलने_की_क्या_सम्भावनाएँ_हैं?

⚫️ #प्रथम_विकल्प- #पुनर्विचार_याचिका।
यदि सरकार अथवा शिक्षामित्र चाहें तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दाख़िल कर सकते हैं। यहाँ यह बात महत्वपूर्ण है कि पुनर्विचार याचिका पर वही 2 जजों की बेंच सुनवाई करेगी जिसने यह फ़ैसला दिया है। पुनर्विचार याचिका दाख़िल करने पर शिक्षामित्रों के लिए राहत मिलने की सम्भावना 0(ज़ीरो) है।

⚫️ #द्वितीय_विकल्प- #क्यूरेटिव_पिटीशन।
पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने के बाद सरकार अथवा शिक्षामित्र क्यूरेटिव पिटीशन भी दाख़िल कर सकते हैं। क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट के 3 सबसे सीनियर जज तथा जज्मेंट देने वाली बेंच के दोनो जज के पास जायेगी, इसके अलावा क्यूरेटिव पिटीशन दाख़िल करने के लिए तमाम तरह की जटिल औपचारिकताओं को भी पूरा करना होता है। कुल मिलाकर क्यूरेटिव पिटीशन से भी शिक्षामित्रों के लिए राहत मिलने की सम्भावना शून्य है।

⚫️ #तृतीय_विकल्प- #संसद_में_अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला निष्प्रभावी कर देना...।

अब इससे असम्भव कार्य दूसरा कोई हो ही नही सकता क्यूँकि इसके लिए केंद्र सरकार को लोकसभा तथा राज्यसभा में 2 तिहाई बहुत से विधेयक पास कराकर उसे राष्ट्रपति से मंज़ूर कराना होगा.......... इतने से काम चलता तब भी ठीक था लेकिन इतना करने के पश्चात केन्द्र सरकार को शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 को आग के हवाले कर पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करना होगा। यह मात्र एक कोरी कल्पना है इसलिए यदि कोई ऐसा सोचता भी है तब निश्चित रूप से कोई मूर्ख शिरोमणि ही होगा।
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#निष्कर्ष_ सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पश्चात शिक्षामित्र नामक बीमारी ख़त्म हो चुकी है, अब इस विषय पर तर्क वितर्क़ की कोई गुंजाइश नही बचती।

धन्यवाद।
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