ग्रामीण इलाकों में शिक्षामित्रों का प्रदर्शन, बड़े शहरों में आंदोलन पर सख्ती

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में शिक्षामित्रों के प्रदर्शन पर शासन की सख्ती नजर आई। इसके चलते बड़े शहरों में आंदोलन दम तोड़ता दिखा लेकिन छोटे जिलों और ग्रामीण इलाकों में आंदोलन बखूबी जारी रहा। आज सड़कों पर जगह जगह पुलिस बल की मौजूदगी, पूछतांछ, सख्ती, वाहन चेकिंग दिखाई दी।
अदालत से समायोजन रद होने को लेकर शिक्षामित्र आंदोलित है। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, मेरठ, आगरा, अलीगढ़ और बरेली जैसे बड़े शहरों के ग्रामीण इलाकों में शिक्षामित्रों के प्रदर्शन हुए। शहर में आंदोलनकारी अधिक सक्रिय नहीं हो सके। इससे ज्यादातर जिलों में और ग्रामीण इलाकों में शिक्षामित्रों ने जबरदस्त आंदोलन जारी रखा। जिले-जिले धरना, प्रदर्शन, जाम, तोड़फोड़, नारेबाजी, अनशन औऱ झड़पें जारी रहे।
आंदोलन की धार कुंठित करता प्रशासन
आज पत्र मिलने के बाद से प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाया. हालांकि यह बड़े शहरों तक सीमित रहा। इसके चलते गोरखपुर में शिक्षामित्रों ने उरुवा ब्लाक पर धरना दिया। गोरखपुर शहर में सख्ती के चलते आंदोलन दम तोड़ता दिखा। बस्ती में शिक्षामित्रों ने भाजपा सांसद हरीश द्विवेदी और विधायक दयाराम चौधरी का घेराव का उन्हें ज्ञापन सौंपा। कुशीनगर और सिद्धार्थनगर में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में धरना दिया। संतकबीर नगर जनपद और महराजगंज में जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। देवरिया में रुद्रपुर में शिक्षामित्रों सड़क जाम कर विरोध जताया। कहीं से किसी तरह की तोड़फोड़ की सूचना नहीं हे। इलाहाबाद में शिक्षामित्रों ने ब्लाक संसाधन केंद्रों और नगर शिक्षाधिकारी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाए। प्रतापगढ़ कलेक्ट्रेट में भी शिक्षा मित्रों का प्रदर्शन जारी रहा। प्राथमिक शिक्षक संघ ने इनका समर्थन किया और आंदोलन में साथ देने की घोषणा की। कौशांबी में बीएसए कार्यालय पर प्रदर्शन कर शिक्षा मित्रों ने विरोध जताया।
अपर मुख्य सचिव का जिलाधिकारियों को पत्र
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव राजप्रताप सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने घटनाओं की वीडियोग्राफी के लिए भी कहा था। पत्र के साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अंश भी भेजे और कहा कि कार्य बहिष्कार, तालाबंदी और तोडफ़ोड़ किसी भी ढंग से उचित नहीं है। जिलाधिकारी अपने स्तर से शिक्षामित्रों के प्रतिनिधियों से वार्ता करके उन्हें स्कूलों में जाने के लिए प्रेरित करें। सभी घटनाओं की वीडियोग्राफी कराई जाए और ऐसे लोगों को चिह्नित किया जाए जो पठन-पाठन में व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं।
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