नमस्कार मित्रों
841 में अकैडमिक टीम के चयनित नीरज राय जी का नौकरी जाने का दर्द अभी से सताने लगा है और मेरी शिकायत चीफ एडिटर श्री अमिताभ अग्निहोत्री जी को बता रहे हैं।
कष्ट इस बात का है कि ये नौकरी को डिज़र्व ही नही करते एक कहावत है कि गधों को च्यवनप्राश नही हजम होता है तो मित्रो 1100 की सेलेक्ट लिस्ट में 727 नंबर पर है एवं जनरल में 96 नंबर पाए है। आज जनरल में उसी विज्ञापन में 116 वाला घर पर बैठा है । नीरज जी दिन भर अवसाद में रहते हैं और पानी पी पीकर मुझे गालियां देते हैं लेकिन सत्य सत्य है आजतक 105 से नीचे सुप्रीम कोर्ट का क्राइटेरिया गिरा ही नही है और रिजर्व्ड में 90 से नीचे तो ये 841 कहा के दामाद थे जिन्हें स्टेट ने बिना आवेदन के भी रसमलाई बांटी है। मैं मित्र नीरज राय जी को यह सांत्वना देना चाहता हूँ कि मैं मुकदमे को सुप्रीम कोर्ट तक छोड़ने वाला नही हूँ चाहे यहाँ से हारकर जाऊ या जीतकर। जो आप लोगों ने बात कोर्ट से छिपाकर लॉ और फैक्ट पर बहस न कराई वो मैं ही करवाऊंगा। कुछ लोगों को तो विदा होना ही पड़ेगा चाहे वो 841 हो या 66000 हो या 99000 हो या सभी को अंदर करना पड़ेगा। मित्र नीरज राय जी से निवेदन है कि वो कोर्ट को बताये की मैंने क्या साच्य छिपाए है चीफ एडिटर साहब को बताने से कोई फायदा नहीं यह आपके पागलपन को प्रदर्शित करता है। और रही बात पैसों की तो मैंने कभी किसी से कोई पैसो की मांग नही कभी न सिंगल बेंच में और न ही डिवीज़न बेंच में। मुकदमे की अगली सुनवाई की तैयारी करें नीरज राय जी और कोर्ट को सच्चाई बताये जो मैंने छिपाई है। नीरज जी के बारे में स्क्रीनशॉट में स्वयं देख सकते हैं। धन्यवाद
आपका शुभेछु
ऋषि श्रीवास्तव
8423973158
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841 में अकैडमिक टीम के चयनित नीरज राय जी का नौकरी जाने का दर्द अभी से सताने लगा है और मेरी शिकायत चीफ एडिटर श्री अमिताभ अग्निहोत्री जी को बता रहे हैं।
कष्ट इस बात का है कि ये नौकरी को डिज़र्व ही नही करते एक कहावत है कि गधों को च्यवनप्राश नही हजम होता है तो मित्रो 1100 की सेलेक्ट लिस्ट में 727 नंबर पर है एवं जनरल में 96 नंबर पाए है। आज जनरल में उसी विज्ञापन में 116 वाला घर पर बैठा है । नीरज जी दिन भर अवसाद में रहते हैं और पानी पी पीकर मुझे गालियां देते हैं लेकिन सत्य सत्य है आजतक 105 से नीचे सुप्रीम कोर्ट का क्राइटेरिया गिरा ही नही है और रिजर्व्ड में 90 से नीचे तो ये 841 कहा के दामाद थे जिन्हें स्टेट ने बिना आवेदन के भी रसमलाई बांटी है। मैं मित्र नीरज राय जी को यह सांत्वना देना चाहता हूँ कि मैं मुकदमे को सुप्रीम कोर्ट तक छोड़ने वाला नही हूँ चाहे यहाँ से हारकर जाऊ या जीतकर। जो आप लोगों ने बात कोर्ट से छिपाकर लॉ और फैक्ट पर बहस न कराई वो मैं ही करवाऊंगा। कुछ लोगों को तो विदा होना ही पड़ेगा चाहे वो 841 हो या 66000 हो या 99000 हो या सभी को अंदर करना पड़ेगा। मित्र नीरज राय जी से निवेदन है कि वो कोर्ट को बताये की मैंने क्या साच्य छिपाए है चीफ एडिटर साहब को बताने से कोई फायदा नहीं यह आपके पागलपन को प्रदर्शित करता है। और रही बात पैसों की तो मैंने कभी किसी से कोई पैसो की मांग नही कभी न सिंगल बेंच में और न ही डिवीज़न बेंच में। मुकदमे की अगली सुनवाई की तैयारी करें नीरज राय जी और कोर्ट को सच्चाई बताये जो मैंने छिपाई है। नीरज जी के बारे में स्क्रीनशॉट में स्वयं देख सकते हैं। धन्यवाद
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ऋषि श्रीवास्तव
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