जानिए, कितनी लंबी है शिक्षामित्रों की ये जंग

लखनऊ इसी साल 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने जब से शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगाई, पूरे प्रदेश में शिक्षामित्रों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। इस दौरान उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई, सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी डाली।
यूपी से शुरू हुआ संघर्ष 11 सितंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंच गया लेकिन वहां भी शिक्षामित्रों को निराशा ही हाथ लगी।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने शिक्षामित्रों को राज्य सरकार से प्रस्ताव पास कराने को कहा। नाराज और हताश शिक्षामित्रों ने आंदोलन खत्म कर दिया लेकिन लड़ाई अभी भी जारी है। शिक्षामित्रों ने अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर योगी सरकार से शामिल होने की गुजारिश की।

इस टाइमलाइन के जरिए जानिए शिक्षामित्र मामले में जानिए कब-कब क्या हुआ-

26 मई 1999 - उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 11 महीने की संविदा पर बारहवीं पास दो शिक्षामित्रों की नियुक्ति का शासनादेश जारी किया।
2001- 2250 रुपए हर महीने के मानदेय पर शिक्षामित्रों की नियुक्ति शुरू हुई
2005 में - मानदेय 2400 रुपए, 2007- में 3000 रुपए, 2010 में - 3500 रुपए कर दिया गया
4 अगस्त 2009 - शिक्षा का अधिकार कानून लागू हुआ। इसके अनुसार कक्षा एक से आठ से अप्रशिक्षित शिक्षक स्कूलों में नहीं पढ़ा सकते।
2 जून 2010 - यूपी में शिक्षामित्रों पर कोर्ट द्वारा नियुक्ति पर रोक लगाई गई
11 जुलाई 2011- तत्कालीन बसपा सरकार ने पौने दो लाख शिक्षामित्रों को बीटीसी का दो वर्षीय प्रशिक्षण देने का फैसला किया
19 जून 2014 - तत्कालीन सपा सरकार ने नियमों की अनदेखी करके पहले चरण में प्रशिक्षित 58 हजार शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन करके वेतन 30 हजार से ज्यादा किया।
8 अप्रैल 2015- सपा सरकार ने दूसरे चरण में प्रशिक्षित लगभग 90 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन कराया
12 सितम्बर 2015- हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन को अवैध ठहराया और इसे रद्द कर दिया गया
7 दिसम्बर 2015 - सुप्रीम कोर्ट ने बचे हुए शिक्षामित्रों के समायोजन पर भी रोक लगाई
25 जुलाई 2017 - सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया। साथ ही कोर्ट ने राहत देते हुए शिक्षामित्रों को तत्काल न हटाने का फैसला किया। कोर्ट के कहा, शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा (टीईटी) में बैठना होगा और उन्हें लगातार दो प्रयासों में यह परीक्षा पास करनी होगी।

समायोजन के बाद कई बार शिक्षा मित्रों के लिए अलग से टीईटी करवाने पर बात उठी लेकिन शिक्षामित्रों के नेता इसके लिए राजी नहीं थे। अब हालात ये हैं कि 2014 से 30 हजार रुपए से ज्यादा वेतन ले रहे शिक्षामित्र अब खाली हाथ हैं। हाल ही में शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ा कर 10 हजार रुपये किया गया है लेकिन बजट में केवल 26 हजार उन शिक्षामित्रों के लिए व्यवस्था की गई है जो समायोजित नहीं हो पाए थे।
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