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शिक्षामित्रों की संविदा समाप्त करने के फैसले पर न्यायालय ने लगाई रोक

प्रतापगढ़. शिक्षा मित्रों के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को तगड़ा झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने शिक्षा मित्रों की संविदा समाप्त करने के एक मामले पर रोक लगा दी है।
इस मामले में न्यायालय की ओर से शिक्षा निदेशक बेसिक उत्तर प्रदेष को तलब भी किया गया है। इस आदेश के बाद प्रभावित शिक्षा मित्रों में खुशी का माहौल है।

रीना सिंह व 35 अन्य शिक्षामित्रों की संविदा समाप्त करने के फैसले पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। शिक्षा मित्र वेलफेसर एसोसिएशन की अध्यक्ष रीना सिंह समेत 36 शिक्षामित्रों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाराणसी में सभा के दौरान जा धमकने के बाद उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा सुसंगत धाराओं में दर्ज कराया गया था। इस मामले में सभी 36 शिक्षा मित्रों की संविदा समाप्त करने की कार्रवाई की गयी थी। शासन के निर्देश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बीएन सिंह ने शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष सहित प्रतापगढ़ के एक और शिक्षामित्र की संविदा समाप्त करने का आदेश दिये गए थे।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग संविदा समाप्त किये जाने की कार्यवाही को विभाग अंतिम रूप देने में ही जुटा ही था। इसी बीच गुरुवार को हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने बड़ी राहत देते हुए सरकार के फैसले पर रोक लगा दी। न्यायालय के आदेश के बाद जिले के प्रभावित शिक्षामित्रों में खुशी का माहौल है। शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष रीना सिंह ने फोन पर न्यायालय पर भरोसा बताया।

बता दें कि शिक्षामित्रों के समायोजन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। उसके बाद से ही शिक्षामित्र लगातार आंदोलनरत हैं। सरकार लगातार इस प्रयास में लगी है कि किसी तरह से शिक्षामित्रों की नौकरी का रास्ता निकाला जाय, पर अदालती आदेश से उसके हाथ बंधे हैं ऐसा सरकार का भी कहना है। पर शिक्षामित्र इस मुद्दे पर मानने को तैयार नहीं। उधर इस मामले पर राजनीति भी होने लगी और अखिलेश यादव तो यहां तक कह चुके हैं कि हमने तो किसी तरह से शिक्षामित्रों की नौकरी बचा ली थी, पर इस सरकार की कमजोर पैरवी के चलते उनका नुकसान हो गया।
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