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पुलिस भर्ती के 2312 पद कानूनी पचड़े में

2015 की 34 हजार से ज्यादा पुलिस भर्ती पर लगी रोक हट जाने के बाद भी कांस्टेबल के 2312 पद कानूनी पचड़े में है। 2013 की 35 हजार 500 कांस्टेबल भर्ती के इन 2312 पदों को कैरी फारवर्ड करने को लेकर दाखिल याचिकाओं पर हाईकोर्ट का फैसला आना बाकी है।
कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित कर रखा है। इन्हीं पदों पर आरक्षण लागू करने में हुई त्रुटि को दुरुस्त करने का आदेश एकल पीठ से हो चुका है। हालांकि 35,500 कांस्टेबल भर्ती की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है और चयनित अभ्यर्थी नौकरी भी कर रहे हैं, विवाद अब केवल क्षैतिज आरक्षण के 2312 पदों का है। मामले के तथ्यों के अनुसार 2013 की 35,500 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती में क्षैतिज आरक्षण के बचे 2312 पदों को कैरी फारवर्ड करने को चुनौती दी गई है। याचिकाओं में 1993 एक्ट के नियम 3(5) को चुनौती दी गई है, जिसमें वर्ष 2008 से यह व्यवस्था है कि क्षैतिज आरक्षण के तहत उपयुक्त अभ्यर्थी न होने पर उन पदों को अगली भर्ती में कैरी फारवर्ड किया जाएगा। याचिकाएं दाखिल होने के बाद शासन ने यह रूल संशोधित करते हुए सात अप्रैल 2016 को नियम 3(5) को समाप्त कर दिया। इस नियम को लेकर दाखिल याचिकाओं पर मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति सुनील कुमार की खंडपीठ ने गत 29 मार्च को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया।

सरकार ने इन पदों पर कम्पार्टमेंटवाइज आरक्षण कर दिया जबकि क्षैतिज आरक्षण में ऐसा नहीं होना चाहिए। इसी मामले को लेकर अर¨वद चिकारा की याचिका पर एकल पीठ ने आरक्षण दुरुस्त करने का निर्देश दिया था और सरकार ने इसकी सहमति भी दे दी थी-विजय गौतम, याची के अधिवक्ताअर¨वद चिकारा के मामले में एकल पीठ के आदेश के अनुपालन में पुलिस भर्ती बोर्ड आरक्षण में हुई त्रुटि को दुरुस्त करने का निर्णय ले चुका है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। -रामानंद पांडेय, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता

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